बड़ी खुशी की बात है
कि अब वैसी सासें नहीं दिखती
जो काम से घर लौटे बेटे को
थमा देती हैं
बहू में दिन भर मीन-मेख निकालती
अपनी नजरों की ढेर सारी शिकायतें,
बहू की कम पडे तो
उनके माँ,बाप ,मुहल्ले-टोले से जुड़े
फजूल के किस्से।
कि अब वैसी सासें नहीं दिखती
जो काम से घर लौटे बेटे को
थमा देती हैं
बहू में दिन भर मीन-मेख निकालती
अपनी नजरों की ढेर सारी शिकायतें,
बहू की कम पडे तो
उनके माँ,बाप ,मुहल्ले-टोले से जुड़े
फजूल के किस्से।
असल में ऐसी सासें बोझमुक्त सासें थी।
घरेलू बहुओं के आ जाने से
इनका काम-धंधा छीन जाता था।
अब ये बैठे -बैठे करें भी तो क्या!!
घरेलू बहुओं के आ जाने से
इनका काम-धंधा छीन जाता था।
अब ये बैठे -बैठे करें भी तो क्या!!
जमाना बदल गया।
अब ये जॅाब वाली बहुओं को लाने लगी।
गए सारे मसले,
खत्म हो गए सारे मसाले।
अब ना बहुएं घर में रहती हैं
ना शिकायतें जमा होती हैं।
चलो अपना-अपना
काम किया जाए।
जय राम जी की ।
अब ये जॅाब वाली बहुओं को लाने लगी।
गए सारे मसले,
खत्म हो गए सारे मसाले।
अब ना बहुएं घर में रहती हैं
ना शिकायतें जमा होती हैं।
चलो अपना-अपना
काम किया जाए।
जय राम जी की ।
- सीमा
achchi kavita hai
ReplyDeleteThanks..
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