प्रेम
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इतना ही प्रेम होता
तो अच्छा होता कि
हमें कुछ
खाने की इच्छा होती
और तुम शाम ढले आकर
रख देते उसे मेरे हाथों में।
तो अच्छा होता कि
हमें कुछ
खाने की इच्छा होती
और तुम शाम ढले आकर
रख देते उसे मेरे हाथों में।
मैं भी खुश,तुम भी खुश ।
पर नहीं ना !
हम ढेर सारे ख्वाब
पाल लेते हैं
और ना मैं
खुश रह पाती हूँ
ना तुम!
पाल लेते हैं
और ना मैं
खुश रह पाती हूँ
ना तुम!
है ना !!
- सीमा
- सीमा
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