तुम्हें नहीं दिखती होगीं ना
मेरे चारों तरफ खड़ी
सलाखें.....
दिखती तो वे
मुझे भी नहीं
बस महसूस होती हैं
हम सभी ऐसी ही
तरह-तरह की
सलाखों के भीतर हैं
यहाँ खुशी भी है और
घुटन भी !!
हम अपनी -अपनी
सलाखों को कस के
पकड़ कर रखते हैं
मेरे चारों तरफ खड़ी
सलाखें.....
दिखती तो वे
मुझे भी नहीं
बस महसूस होती हैं
हम सभी ऐसी ही
तरह-तरह की
सलाखों के भीतर हैं
यहाँ खुशी भी है और
घुटन भी !!
हम अपनी -अपनी
सलाखों को कस के
पकड़ कर रखते हैं
एक सुरक्षा-कवच है ये !
हमारे चारों तरफ
फैले जंगल से ये
बचाती है हमें !!
हमारे चारों तरफ
फैले जंगल से ये
बचाती है हमें !!
~ सीमा
Sahi kaha
ReplyDeleteहम सभी ऐसी ही
तरह-तरह की
सलाखों के भीतर हैं
यहाँ खुशी भी है और
घुटन भी !!
हम अपनी -अपनी
सलाखों को कस के
पकड़ कर रखते हैं
एक सुरक्षा-कवच है ये !
👍
thank u Sunita.
DeleteSahi kaha
ReplyDeleteहम सभी ऐसी ही
तरह-तरह की
सलाखों के भीतर हैं
यहाँ खुशी भी है और
घुटन भी !!
हम अपनी -अपनी
सलाखों को कस के
पकड़ कर रखते हैं
एक सुरक्षा-कवच है ये !
👍