Saturday, May 7, 2016

सलाखें


तुम्हें नहीं दिखती होगीं ना
मेरे चारों तरफ खड़ी
सलाखें.....
दिखती तो वे
मुझे भी नहीं 
बस महसूस होती हैं
हम सभी ऐसी ही
तरह-तरह की
सलाखों के भीतर हैं
यहाँ खुशी भी है और
घुटन भी !!
हम अपनी -अपनी
सलाखों को कस के
पकड़ कर रखते हैं
एक सुरक्षा-कवच है ये !
हमारे चारों तरफ
फैले जंगल से ये
बचाती है हमें !!

~ सीमा

3 comments:

  1. Sahi kaha
    हम सभी ऐसी ही
    तरह-तरह की
    सलाखों के भीतर हैं
    यहाँ खुशी भी है और
    घुटन भी !!
    हम अपनी -अपनी
    सलाखों को कस के
    पकड़ कर रखते हैं
    एक सुरक्षा-कवच है ये !
    👍

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  2. Sahi kaha
    हम सभी ऐसी ही
    तरह-तरह की
    सलाखों के भीतर हैं
    यहाँ खुशी भी है और
    घुटन भी !!
    हम अपनी -अपनी
    सलाखों को कस के
    पकड़ कर रखते हैं
    एक सुरक्षा-कवच है ये !
    👍

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