Thursday, May 19, 2016

         अनुभव 
***********************
रोज कुछ नए
अनुभव इकट्ठा कर रही हूँ
ओर हर सुबह भूल जा रही हूँ
पिछली कड़वाहटों को।
बातें करने के दरम्यान
कितनी बार अपनी
अज्ञानता छिपाती हूँ
कि दुनिया बहुत बड़ा जंगल है
और मैं अभी तक
अपने बागीचे के
खर -पतवार ही उखाड़ रही थी !!
~ सीमा

No comments:

Post a Comment