कदम
तुम अपने कदमो से
जमीन नापो
मै अपने क़दमों से
देखती हूँ तुम
कहाँ कहाँ रूकते हो
और मै कहाँ कहाँ
तुमसे मिलती हू
सुनो
मुझे पता है कि तुम
रुकोगे नहीं कही
पर मै तो हर जगह
चाहूँगी कुछ देर थमना
क्युकि रास्ते नापने तो
आसान हैं पर उन्हें
समझना है ज़रा मुश्किल
सीमा श्रीवास्तव
रास्ते लुभाते हैं, रास्ते बुलाते हैं, रास्तों में चढाव होते हैं, रास्तों में ढलान होती है, रास्तों में मंज़िल की चाहत और चलने की थकान होती है, रास्तों में पड़ाव के बीच फासला होता है, पर रास्तों में चलती साँसों और बढ़ते क़दमों के बीच कोई फासला नहीं होता। फिर भी सचमुच "रास्ते नापने तो आसान हैं पर उन्हें समझना है जरा मुश्किल" - सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteधन्यवाद मनोजजी आप तो पूरी तरह से कविता की आत्मा मे घुस गये...मेरी कविता की इतनी अच्छी समीक्षा के लिये बह्त बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete"रास्ते नापने तो
ReplyDeleteआसान हैं पर उन्हें
समझना है ज़रा मुश्किल"
सुन्दर रचना.
धन्यवाद PN Subramanian ji..
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteThanks a lot Rashmi didi..
Deletebahut sundar
ReplyDeleteThanks a lot Upasna Siag ji...
Deleteवाह लाजवाब
ReplyDeleteThanks a lot Vandana ji
Deleteसहज में एक दर्शन अभिव्यक्त हुआ है, सुन्दर कृति.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद विनोद सर...
Deleteशुभ प्रभात सीमा बहन
ReplyDeleteमै तो हर जगह
चाहूँगी कुछ देर थमना
उत्तम पंक्ति
सादर
Dhanywaad Yashoda bahan..:)
DeleteDhanywaad ..:)
Deleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...सावन मास की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteDhanywaad...,aapko bhi dher sari shubhkaamnaaye
Deleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...सावन मास की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...सावन मास की शुभकामनाएँ
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