Tuesday, July 29, 2014

रोशनी



जाने कब अपने भीतर का

अँधियारा

 तोड़ने लगता है, दीवारें

हमें पता भी नहीं चलता।

 उजाला बना लेता है

चुपचाप अपनी पहचान ,
  मन के अंदर
 कि उसे तो बस
 थोड़ी सी जगह चाहिए

अंदर आने के लिए !!


-  सीमा श्रीवास्तव

(रोशनी एक छोटी सी जगह से भी आ सकती है )

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