Thursday, October 26, 2017

जख्म

आँसुओं की कोई कीमत नहीं अब
बहकर कहीं भी चले जाते हैं
अब शब्दों में बंद है
हर जज्बात, हर एहसास और
ढूंढ़ने पर मिल जाएंगें कई जख्मों के निशान
जो ना आँसू बन के बह पाए थे
ना शब्दों में ढ़ल पाए थे!

- सीमा श्रीवास्तव

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