Saturday, December 3, 2016

बचपन

मुझे पता है कि
तुम अब पहले की तरह नहीं
खिलखिला सकते.
मुझे पता है कि तुम
नहीं मल सकते
अपने चेहरे पर वह
पहले सा भोलापन!
तुम तो इतना बदल चुके हो कि
आईना भी परेशान है!

पर  मैं आज भी तुम्हारे
बचपन की तस्वीर देख कर
फिर से एक छोटी बच्ची बन जाती हूँ!
सुनो,
मैंने अपनी यादों में
छुपा रखी है तुम्हारी मासूमियत!

कभी बचपन याद आए तो
मेरे पास चले आना!
बडा सहेज कर रखा है उसे  मैने!
- सीमा

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