अनमोल धरोहर
***************
ओह ! तुमने कितने ही
हसीन पल खो दिए !
जिंदगी ने कई बार
मौका दिया
पर तुम तो
रफ़्तार पसंद हो ना !
मुझे फिक्र है
तुम्हारे बुढ़ापे की !
(जाने मै तब
रहूँ या ना रहूँ !!)
इन
बर्फीली हवाओ वाले
मौसम में तब
तुम्हारे पास
नहीं होगी
यादो की अंगीठी !!
हाँ ,यही यादें तो
हमे गर्म रखती हैं
ठिठुरती सर्दियों में !
ये खट्टी ,मीठी यादें
अनमोल धरोहर हैं !
आओ कुछ
खट्टे ,मीठे पलों को
यादों के खाते में
जमा कर लें !
सर्दियों के
दस्ताने और जुराबों
के साथ इन्हे भी
संभाल कर रख लें !!
- सीमा
काफी दिनों के बाद आपका पन्ना देख रहा हूँ और दिसम्बर की सर्दी में गुनगुनी धूप के तरह खिली-खिली हाल के रचनाएँ पढ़ कर काफी अच्छा लग रहा है. नवम्बर, दिसम्बर के सारी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक हैं. बधाई !
ReplyDeleteDhanywaad..
ReplyDelete