Thursday, December 10, 2015

 ईशान कोण
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इस खानाबदोश जिंदगी में 

कितनी जगह स्थापित किया 
मैने अपना पूजा घर 
और हर तबादले पर 
 जगाती रही 
भगवान  को ,
आग्रह किया 
साथ चलने को । 
कितनी दिनों तक 
कूट के डब्बो में 
बंद रहे भगवान 
और मै व्याकुल होती रही । 

नए घर में फिर 
सजाती ईशान कोण 
पुनः विराजते  भगवान 
और मन को तसल्ली मिलती । 

अचानक ह्रदय  परिवर्तन हुआ !
 प्रभु ह्रदय में 
बसने लगे ! 
अब मै ईशान कोण  क्यूँ ढूँटती
ह्रदय से हटा कर 
उन्हें कहाँ  रखती !!

- सीमा




2 comments:

  1. अचानक ह्रदय परिवर्तन हुआ !
    प्रभु ह्रदय में
    बसने लगे !
    अब मै ईशान कोण क्यूँ ढूँटती
    ह्रदय से हटा कर
    उन्हें कहाँ रखती !!
    wel said :)

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