कितनी ही नदियों
का बहाव
होता रहता है
अंदर ही अंदर !
सही दिशा के तलाश में
ये भटकती रहती हैं !
कितनी बाधाओं को
ये करती
रहती है पार
निकलती है
इधर -उधर से
रहती है
बहने को तैयार
अड़चनों से
गुजरते ,गुजरते
नदियाँ नालो में
बदल जाती हैं !!
गुजरते ,गुजरते
नदियाँ नालो में
बदल जाती हैं !!
फिर भी ये
बहती रहती है.!
फिर भी ये
बहती रहती है.!!
बहती रहती है.!
फिर भी ये
बहती रहती है.!!
- सीमा
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