Sunday, April 5, 2015

इस जिंदगी में

    
   इस जिंदगी में !
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बैचैन सी एक प्यास है 
इस जिंदगी में !

किस चीज की तलाश है 
इस जिंदगी में !

गम और खुशियो में 

बँट रहे है हम 

रंगमंच के किरदार से 

इस जिंदगी में !

सोचा न जो हो जाता है वो 

कैसे ,कैसे हालात है 
इस जिंदगी में !

चाहा था जो वो  न
 मिल सका है  पर 

कोशिशो की हर रात है 

इस जिंदगी में !

आए है नादान से
हम तो यहॉ 

रहते है  मेहमान से 

इस जिंदगी में !

भगवान से मिलने की 

 जिद तू छोड़ दे  

 कि इंसान ही भगवान है 

इस जिंदगी में !

-  सीमा श्रीवास्तव 

( इसी तरह की कुछ कविताओ के साथ मैंने कविता की दुनिया में कदम रखा था । इसे मैंने सत्रह साल की उम्र में लिखा था )





3 comments:

  1. बहुत खूब...
    लाज़वाब भावाभिव्यक्ति।
    यथार्थ चिंतन।

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  2. सुन्दर रचना, बधाई

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