Monday, February 2, 2015

सावधान

    सावधान 
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यूँ ही नहीं बिगड़ता 
हमारा समाज !!

कि यहॉ चौकीदार और 

दरबान ही बन जाते  हैं 
लुटेरे। 

उफ़ !  ये छदमवेष  वाले  !!

अब कहो ,

किस  पर करे शक 

और  किस पर  करे  भरोसा !!

क्यों पनपती है 

इनकी( छदमवेष वालोँ की ) झाड़ ??

क्योकि ,साथ देते हैं इनका 

चंद  नामी गिरामी लोग 

सब मिल के लेते हैं मजे 

  ये रोज मिल के चबाते है पान ,

पीते हैं  चाय ,

बनाते है खैनी 

और फैलाते है गन्दगी 

अपने आसपास 

पान की पीक  और 

चाय की कुल्हड़ को 

इधर उधर फ़ेंक के !
इनके दिमाग में 

अपशब्दों की भरमार  है 

जिसे वो राह चलते लोगो में 

बाँटते हैं !!

सावधान रहना इनसे कि 

इन्हें रोकने वाले बहुत कम 

साथ देने वाले ज्यादा हैं 

कि  मिर्च मसाले 

खा के चटखारे लेना 

बहुतो को पसंद है !!

तभी तो फलती फूलती 

 है गंदगी की झाड़ 

देखती  हूँ कितनो   के दिमाग में 

घुसती है मेरी ये बात 

कितने हाथ आगे बढ़ते हैं 

छांटने को ये झाड़ 

देखती  हूँ !!

हॉ.., मेरे घर के आसपास तो 

अब कोई झाड़ नहीं ,

कि काट डाला है मैंने इसे 

अपने ही हाथो से 

 और जला दिया है 

 बाकि कचरों के साथ 
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आप  भी अपने आसपास  का 

ख्याल रखना   ताकि कोई 

दूसरा(बाहर के लोग ) थूक कर ना
चला जाए हमपर !!

सीमा श्रीवास्तव 







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