त्याग, त्याग
कर-कर के ज़ीवन बीता
सब त्यागने वाले शरीर को
एक दिन आत्मा त्याग देगी
और ओढ़ लेगी एक नया चोला
ओह! ये ज़ीवन का मेला!
- सीमा
Seema Kee Lekhanee
Monday, March 11, 2019
त्याग
Wednesday, January 23, 2019
मन
कुछ नहीं करना था
बस इस मन को बहलाना था
तब भी और अब भी
कभी दाएं , कभी बाएं
दिशा मोड़नी थी
तब भी और अब भी!
- सीmaa
Tuesday, September 18, 2018
घोंसला
ठीक चिड़ियों की तरह
मन के भीतर भीतर
एक घोंसला
बनाते रहते हैं हम।
हर बार
भीड़ से
उब कर
इसी नीड मे
खुद को
समेट लेते हैं
हम !!
- सीमा
Thursday, October 26, 2017
जख्म
आँसुओं की कोई कीमत नहीं अब
बहकर कहीं भी चले जाते हैं
अब शब्दों में बंद है
हर जज्बात, हर एहसास और
ढूंढ़ने पर मिल जाएंगें कई जख्मों के निशान
जो ना आँसू बन के बह पाए थे
ना शब्दों में ढ़ल पाए थे!
- सीमा श्रीवास्तव
Sunday, September 24, 2017
चिड़िया
सुबह चिड़िया उठती है
सब की खिड़की पर
ठक - ठक करती,
हाल - चाल लेती,
निश्चिंत करती खुद को
किसी पेड़ की टहनी पर
बैठ जाती है.
आदमी,वृक्ष, धरती
सब सुरक्षित रहें
वह मन ही मन
मनाती है.
बचा रहे प्रेम
भरोसा, उम्मीद
वह मन ही मन
सोचती है!
- सीmaa
Sunday, September 10, 2017
तन्हाई
अच्छा है कि तुम मेरी हर जिद्द पूरी नहीं करते,
अच्छा है कि मेरे हर सवाल को
अटका कर छोड़ देते हो तुम
मैं लौट कर खुद के पास आ जाती हूँ और
मेरी तन्हाई में मुझे मिल जाता है सब कुछ!
- सीmaa
Wednesday, July 19, 2017
मैं खुश रहना चाहती हूँ
मै ,
खुश रहना
चाहती हूँ
हर पल
इसलिए
मिलती हूँ
फूलों से ,
खेलती हूँ
हवाओँ से.
चहकती हूँ
पंछियों के साथ।
किसी गीत के
बोल गुनगुनाती हूँ ,
दीवानों के
मन मे डुबकी
लगाती हूँ
और
रंग देती हूँ
शब्दों को
इश्क़ के
रंग में !!
मै ,
हकीकत की
जमीन को
ठोकर मार के
थोड़ी दूर
ख़वाबों के
साथ उड़
जाती हूँ
बस इसलिए
कि मै
ख़ुश रहना
चाहती हूँ !!
- सीमा श्रीवास्तव