प्रेम कहानी में
एक दीवानी होती है ,
एक मस्ताना होता है
दोनों के बीच आता है
इश्क़ आता है
सीना ठोंक के !
हवाओ में बिखर जाती है
इश्क़ की खुशबू !
मस्ताना करता है
बहकी ,बहकी बातें ,
दीवानी और भी
दीवानी हो जाती है !
पर इश्क़ से ही तो
नहीं भरता ये पेट !
तब मस्ताना
उगाता है मक्का ,
बिखेरता है
सरसों के बीज !
खेत भी लहलहाती है
उसी इश्क़ की तरह !
दीवानी सेंकती है
मक्के की रोटी ,
पकता है
सरसों का साग !
जिंदगी यूँ ही
चलती रहती हैं ,
रोटियाँ यूँ ही
सिकती रहती हैं !
कि नून ,तेल ,लकड़ी के
बिना कोई भी कहानी
पूरी नहीं होती !!
- सीमा