त्याग, त्याग कर-कर के ज़ीवन बीता सब त्यागने वाले शरीर को एक दिन आत्मा त्याग देगी और ओढ़ लेगी एक नया चोला ओह! ये ज़ीवन का मेला! - सीमा
कुछ नहीं करना था बस इस मन को बहलाना था तब भी और अब भी कभी दाएं , कभी बाएं दिशा मोड़नी थी तब भी और अब भी! - सीmaa