Tuesday, July 29, 2014
Sunday, July 27, 2014
मुझे कुछ कहना है!
आकाश का यूँ बदला-बदला रंग क्यों है ?
आदमी का यूँ बदला-बदला ढंग क्यों है ?
जज्बातों पर हर पल इतना बंध क्यों है ?
फिज़ाओं में हर पल बारूदी गंध क्यों है ?
हाथों में निवालों के बदले संग क्यों है ?
भूख की खातिर ज़िंदगी में जंग क्यों है ?
जो जवाबदार है इन कोहपैकर सवालों के -
उनसे मुझे कुछ कहना है !
मुझे कुछ कहना है।
(संग = पत्थर, कोहपैकर = भीमकाय, विशाल.)
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