आँसुओं की कोई कीमत नहीं अब बहकर कहीं भी चले जाते हैं अब शब्दों में बंद है हर जज्बात, हर एहसास और ढूंढ़ने पर मिल जाएंगें कई जख्मों के निशान जो ना आँसू बन के बह पाए थे ना शब्दों में ढ़ल पाए थे!
- सीमा श्रीवास्तव
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